Guest guest Posted September 18, 2011 Report Share Posted September 18, 2011 Dr.Dilip J Raichura 9324351494 ----- Forwarded Message ----- To: Sent: Sunday, 18 September 2011 1:10 PM Subject: Fwd: जन गण मन की कहानी............... ......... > > >जन गण मन की कहानी ..............................​. > >सन 1911 तक à¤à¤¾à¤°à¤¤ की राजधानी बंगाल हà¥à¤† करता था। सन 1905 में जब बंगाल विà¤à¤¾à¤œà¤¨ को लेकर अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¥‹ के खिलाफ बंग-à¤à¤‚ग आनà¥à¤¦à¥‹à¤²à¤¨ के विरोध में बंगाल के लोग उठखड़े हà¥à¤ तो अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¥‹ ने अपने आपको बचाने के लिठके कलकतà¥à¤¤à¤¾ से हटाकर राजधानी को दिलà¥à¤²à¥€ ले गठऔर 1911 में दिलà¥à¤²à¥€ को राजधानी घोषित कर दिया। पूरे à¤à¤¾à¤°à¤¤ में उस समय लोग विदà¥à¤°à¥‹à¤¹ से à¤à¤°à¥‡ हà¥à¤ थे तो अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¥‹ ने अपने इंगà¥à¤²à¥…णà¥à¤¡ के राजा को à¤à¤¾à¤°à¤¤ आमंतà¥à¤°à¤¿à¤¤ किया ताकि लोग शांत हो जाये। इंगà¥à¤²à¥ˆà¤‚ड का राजा जोरà¥à¤œ पंचम 1911 में à¤à¤¾à¤°à¤¤ में आया। रविंदà¥à¤°à¤¨à¤¾à¤¥ टैगोर पर दबाव बनाया गया कि तà¥à¤®à¥à¤¹à¥‡ à¤à¤• गीत जोरà¥à¤œ पंचम के सà¥à¤µà¤¾à¤—त में लिखना ही होगा। > >उस समय टैगोर का परिवार अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¥‹à¤‚ के काफी नजदीक हà¥à¤† करता था, उनके परिवार के बहà¥à¤¤ से लोग ईसà¥à¤Ÿ इंडिया कंपनी के लिठकाम किया करते थे, उनके बड़े à¤à¤¾à¤ˆ अवनींदà¥à¤° नाथ टैगोर बहà¥à¤¤ दिनों तक ईसà¥à¤Ÿ इंडिया कंपनी के कलकतà¥à¤¤à¤¾ डिविजन के निदेशक (Director) रहे। उनके परिवार का बहà¥à¤¤ पैसा ईसà¥à¤Ÿ इंडिया कंपनी में लगा हà¥à¤† था। और खà¥à¤¦ रविनà¥à¤¦à¥à¤° नाथ टैगोर की बहà¥à¤¤ सहानà¥à¤à¥‚ति थी अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¥‹à¤‚ के लिà¤à¥¤ रविंदà¥à¤°à¤¨à¤¾à¤¥ टैगोर ने मन से या बेमन से जो गीत लिखा उसके बोल है " जन गण मन अधिनायक जय हे à¤à¤¾à¤°à¤¤ à¤à¤¾à¤—à¥à¤¯ विधाता " । इस गीत के सारे के सारे शबà¥à¤¦à¥‹à¤‚ में अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¥€ राजा जोरà¥à¤œ पंचम का गà¥à¤£à¤—ान है, जिसका अरà¥à¤¥ समà¤à¤¨à¥‡ पर पता लगेगा कि ये तो हकीक़त में ही अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¥‹ की खà¥à¤¶à¤¾à¤®à¤¦ में लिखा गया था। > >इस राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¤—ान का अरà¥à¤¥ कà¥à¤› इस तरह से होता है " à¤à¤¾à¤°à¤¤ के नागरिक, à¤à¤¾à¤°à¤¤ की जनता अपने मन से आपको à¤à¤¾à¤°à¤¤ का à¤à¤¾à¤—à¥à¤¯ विधाता समà¤à¤¤à¥€ है और मानती है। हे अधिनायक (Superhero) तà¥à¤®à¥à¤¹à¥€ à¤à¤¾à¤°à¤¤ के à¤à¤¾à¤—à¥à¤¯ विधाता हो। तà¥à¤®à¥à¤¹à¤¾à¤°à¥€ जय हो ! जय हो ! जय हो ! तà¥à¤®à¥à¤¹à¤¾à¤°à¥‡ à¤à¤¾à¤°à¤¤ आने से सà¤à¥€ पà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥à¤¤ पंजाब, सिंध, गà¥à¤œà¤°à¤¾à¤¤, मराठा मतलब महारासà¥à¤¤à¥à¤°, दà¥à¤°à¤µà¤¿à¤¡à¤¼à¤®à¤¤à¤²à¤¬ दकà¥à¤·à¤¿à¤£ à¤à¤¾à¤°à¤¤, उतà¥à¤•ल मतलब उड़ीसा, बंगाल आदि और जितनी à¤à¥€ नदिया जैसे यमà¥à¤¨à¤¾ और गंगा ये सà¤à¥€ हरà¥à¤·à¤¿à¤¤ है, खà¥à¤¶ है, पà¥à¤°à¤¸à¤¨à¥à¤¨ है , तà¥à¤®à¥à¤¹à¤¾à¤°à¤¾ नाम लेकर ही हम जागते है और तà¥à¤®à¥à¤¹à¤¾à¤°à¥‡ नाम का आशीरà¥à¤µà¤¾à¤¦ चाहते है। तà¥à¤®à¥à¤¹à¤¾à¤°à¥€ ही हम गाथा गाते है। हे à¤à¤¾à¤°à¤¤ के à¤à¤¾à¤—à¥à¤¯ विधाता (सà¥à¤ªà¤° हीरो ) तà¥à¤®à¥à¤¹à¤¾à¤°à¥€ जय हो जय हो जय हो। " > >जोरà¥à¤œ पंचम à¤à¤¾à¤°à¤¤ आया 1911 में और उसके सà¥à¤µà¤¾à¤—त में ये गीत गाया गया। जब वो इंगà¥à¤²à¥ˆà¤‚ड चला गया तो उसने उस जन गण मन का अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¥€ में अनà¥à¤µà¤¾à¤¦ करवाया। कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि जब à¤à¤¾à¤°à¤¤ में उसका इस गीत से सà¥à¤µà¤¾à¤—त हà¥à¤† था तब उसके समठमें नहीं आया था कि ये गीत कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ गाया गया और इसका अरà¥à¤¥ कà¥à¤¯à¤¾ है। जब अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¥€ अनà¥à¤µà¤¾à¤¦ उसने सà¥à¤¨à¤¾ तो वह बोला कि इतना समà¥à¤®à¤¾à¤¨ और इतनी खà¥à¤¶à¤¾à¤®à¤¦ तो मेरी आज तक इंगà¥à¤²à¥…णà¥à¤¡ में à¤à¥€ किसी ने नहीं की। वह बहà¥à¤¤ खà¥à¤¶ हà¥à¤†à¥¤ उसने आदेश दिया कि जिसने à¤à¥€ ये गीत उसके (जोरà¥à¤œ पंचम के) लिठलिखा है उसे इंगà¥à¤²à¥ˆà¤‚ड बà¥à¤²à¤¾à¤¯à¤¾ जाये। रविनà¥à¤¦à¥à¤° नाथ टैगोर इंगà¥à¤²à¥ˆà¤‚ड गà¤à¥¤ जोरà¥à¤œ पंचम उस समय नोबल पà¥à¤°à¤¸à¥à¤•ार समिति का अधà¥à¤¯à¤•à¥à¤· à¤à¥€ था। > >उसने रविनà¥à¤¦à¥à¤° नाथ टैगोर को नोबल पà¥à¤°à¤¸à¥à¤•ार से समà¥à¤®à¤¾à¤¨à¤¿à¤¤ करने का फैसला किया। तो रविनà¥à¤¦à¥à¤° नाथ टैगोर ने इस नोबल पà¥à¤°à¤¸à¥à¤•ार को लेने से मना कर दिया। कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ कि गाà¤à¤§à¥€ जी ने बहà¥à¤¤ बà¥à¤°à¥€ तरह से रविनà¥à¤¦à¥à¤°à¤¨à¤¾à¤¥ टेगोर को उनके इस गीत के लिठखूब डांटा था। टैगोर ने कहा की आप मà¥à¤à¥‡ नोबल पà¥à¤°à¤¸à¥à¤•ार देना ही चाहते हैं तो मैंने à¤à¤• गीतांजलि नामक रचना लिखी है उस पर मà¥à¤à¥‡ दे दो लेकिन इस गीत के नाम पर मत दो और यही पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤°à¤¿à¤¤ किया जाये क़ि मà¥à¤à¥‡ जो नोबेल पà¥à¤°à¤¸à¥à¤•ार दिया गया हैवो गीतांजलि नामक रचना के ऊपर दिया गया है। जोरà¥à¤œ पंचम मान गया और रविनà¥à¤¦à¥à¤° नाथ टैगोर को सन 1913 में गीतांजलि नामक रचना के ऊपर नोबल पà¥à¤°à¤¸à¥à¤•ार दिया गया। > >रविनà¥à¤¦à¥à¤° नाथ टैगोर की ये सहानà¥à¤à¥‚ति ख़तà¥à¤® हà¥à¤ˆ 1919 में जब जलिया वाला कांड हà¥à¤† और गाà¤à¤§à¥€ जी ने लगà¤à¤— गाली की à¤à¤¾à¤·à¤¾ में उनको पतà¥à¤° लिखा और कहा क़ि अà¤à¥€ à¤à¥€ तà¥à¤®à¥à¤¹à¤¾à¤°à¥€ आà¤à¤–ों से अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¤¿à¤¯à¤¤ का परà¥à¤¦à¤¾ नहीं उतरेगा तो कब उतरेगा, तà¥à¤® अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¥‹à¤‚ के इतने चाटà¥à¤•ार कैसे हो गà¤, तà¥à¤® इनके इतने समरà¥à¤¥à¤• कैसे हो गठ? फिर गाà¤à¤§à¥€ जी सà¥à¤µà¤¯à¤‚ रविनà¥à¤¦à¥à¤° नाथ टैगोर से मिलने गठऔर बहà¥à¤¤ जोर से डाटा कि अà¤à¥€ तक तà¥à¤® अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¥‹ की अंध à¤à¤•à¥à¤¤à¤¿ में डूबे हà¥à¤ हो ? तब जाकर रविंदà¥à¤°à¤¨à¤¾à¤¥ टैगोर की नीद खà¥à¤²à¥€à¥¤ इस काणà¥à¤¡ का टैगोर ने विरोध किया और नोबल पà¥à¤°à¤¸à¥à¤•ार अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¥€ हà¥à¤•ूमत को लौटा दिया। सन 1919 से पहले जितना कà¥à¤› à¤à¥€ रविनà¥à¤¦à¥à¤° नाथ टैगोर ने लिखा वो अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¥€ सरकार के पकà¥à¤· में था और 1919 के बाद उनके लेख कà¥à¤› कà¥à¤› अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¥‹ के खिलाफ होने लगे थे। > >रविनà¥à¤¦à¥à¤° नाथ टेगोर के बहनोई, सà¥à¤°à¥‡à¤¨à¥à¤¦à¥à¤° नाथ बनरà¥à¤œà¥€ लनà¥à¤¦à¤¨ में रहते थे और ICS ऑफिसर थे। अपने बहनोई को उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने à¤à¤• पतà¥à¤° लिखा था (ये 1919 के बाद की घटना है) । इसमें उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने लिखा है कि ये गीत 'जन गण मन' अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¥‹ के दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ मà¥à¤ पर दबाव डलवाकर लिखवाया गया है। इसके शबà¥à¤¦à¥‹à¤‚ का अरà¥à¤¥ अचà¥à¤›à¤¾ नहीं है। इस गीत को नहीं गाया जाये तो अचà¥à¤›à¤¾ है। लेकिन अंत में उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने लिख दिया कि इस चिठà¥à¤ ी को किसी को नहीं दिखाठकà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि मैं इसे सिरà¥à¤« आप तक सीमित रखना चाहता हूठलेकिन जब कà¤à¥€ मेरी मà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¥ हो जाये तो सबको बता दे। 7 अगसà¥à¤¤ 1941 को रबिनà¥à¤¦à¥à¤° नाथ टैगोर की मृतà¥à¤¯à¥ के बाद इस पतà¥à¤° को सà¥à¤°à¥‡à¤¨à¥à¤¦à¥à¤° नाथ बनरà¥à¤œà¥€ ने ये पतà¥à¤° सारà¥à¤µà¤œà¤¨à¤¿à¤• किया, और सारे देश को ये कहा क़ि ये जन गन मन गीत न गाया जाये। > >1941 तक कांगà¥à¤°à¥‡à¤¸ पारà¥à¤Ÿà¥€ थोड़ी उà¤à¤° चà¥à¤•ी थी। लेकिन वह दो खेमो में बट गई। जिसमे à¤à¤• खेमे के समरà¥à¤¥à¤• बाल गंगाधर तिलक थे और दà¥à¤¸à¤°à¥‡ खेमे में मोती लाल नेहरॠथे। मतà¤à¥‡à¤¦ था सरकार बनाने को लेकर। मोती लाल नेहरॠचाहते थे कि सà¥à¤µà¤¤à¤‚तà¥à¤° à¤à¤¾à¤°à¤¤ की सरकार अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¥‹ के साथ कोई संयोजक सरकार (Coalition Government) बने। जबकि गंगाधर तिलक कहते थे कि अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¥‹ के साथ मिलकर सरकार बनाना तो à¤à¤¾à¤°à¤¤ के लोगों को धोखा देना है। इस मतà¤à¥‡à¤¦ के कारण लोकमानà¥à¤¯ तिलक कांगà¥à¤°à¥‡à¤¸ से निकल गठऔर उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने गरम दल बनाया। कोंगà¥à¤°à¥‡à¤¸ के दो हिसà¥à¤¸à¥‡ हो गà¤à¥¤ à¤à¤• नरम दल और à¤à¤• गरम दल। > >गरम दल के नेता थे लोकमानà¥à¤¯ तिलक जैसे कà¥à¤°à¤¨à¥à¤¤à¤¿à¤•ारी। वे हर जगह वनà¥à¤¦à¥‡ मातरम गाया करते थे। और नरम दल के नेता थे मोती लाल नेहरॠ(यहाठमैं सà¥à¤ªà¤·à¥à¤Ÿ कर दूठकि गांधीजी उस समय तक कांगà¥à¤°à¥‡à¤¸ की आजीवन सदसà¥à¤¯à¤¤à¤¾ से इसà¥à¤¤à¥€à¤«à¤¾ दे चà¥à¤•े थे, वो किसी तरफ नहीं थे, लेकिन गाà¤à¤§à¥€ जी दोनों पकà¥à¤· के लिठआदरणीय थे कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि गाà¤à¤§à¥€ जी देश के लोगों के आदरणीय थे)। लेकिन नरम दल वाले जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾à¤¤à¤° अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¥‹ के साथ रहते थे। उनके साथ रहना, उनको सà¥à¤¨à¤¨à¤¾, उनकी बैठकों में शामिल होना। हर समय अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¥‹ से समà¤à¥Œà¤¤à¥‡ में रहते थे। वनà¥à¤¦à¥‡à¤®à¤¾à¤¤à¤°à¤® से अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¥‹ को बहà¥à¤¤ चिढ होती थी। नरम दल वाले गरम दल को चिढाने के लिठ1911 में लिखा गया गीत " जन गण मन " गाया करते थे और गरम दल वाले " वनà¥à¤¦à¥‡ मातरम " । > >नरम दल वाले अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¥‹à¤‚ के समरà¥à¤¥à¤• थे और अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¥‹à¤‚ को ये गीत पसंद नहीं था तो अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¥‹à¤‚ के कहने पर नरम दल वालों ने उस समय à¤à¤• हवा उड़ा दी कि मà¥à¤¸à¤²à¤®à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ को वनà¥à¤¦à¥‡ मातरम नहीं गाना चाहिठकà¥à¤¯à¥‹à¤‚ कि इसमें बà¥à¤¤à¤ªà¤°à¤¸à¥à¤¤à¥€ (मूरà¥à¤¤à¤¿ पूजा) है। और आप जानते है कि मà¥à¤¸à¤²à¤®à¤¾à¤¨ मूरà¥à¤¤à¤¿ पूजा के कटà¥à¤Ÿà¤° विरोधी है। उस समय मà¥à¤¸à¥à¤²à¤¿à¤® लीग à¤à¥€ बन गई थी जिसके पà¥à¤°à¤®à¥à¤– मोहमà¥à¤®à¤¦ अली जिनà¥à¤¨à¤¾ थे। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने à¤à¥€ इसका विरोध करना शà¥à¤°à¥‚ कर दिया कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि जिनà¥à¤¨à¤¾ à¤à¥€ देखने à¤à¤° को (उस समय तक) à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ थे मन,करà¥à¤® और वचन से अंगà¥à¤°à¥‡à¤œ ही थे उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने à¤à¥€ अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¥‹à¤‚ के इशारे पर ये कहना शà¥à¤°à¥‚ किया और मà¥à¤¸à¤²à¤®à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ को वनà¥à¤¦à¥‡ मातरम गाने से मना कर दिया। जब à¤à¤¾à¤°à¤¤ सन 1947 में सà¥à¤µà¤¤à¤‚तà¥à¤° हो गया तो जवाहर लाल नेहरॠने इसमें राजनीति कर डाली। संविधान सà¤à¤¾ की बहस चली। संविधान सà¤à¤¾ के 319 में से 318 सांसद à¤à¤¸à¥‡ थे जिनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने बंकिम बाबॠदà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ लिखित वनà¥à¤¦à¥‡à¤®à¤¾à¤¤à¤°à¤® को राषà¥à¤Ÿà¥à¤° गान सà¥à¤µà¥€à¤•ार करने पर सहमति जताई। > >बस à¤à¤• सांसद ने इस पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¤¾à¤µ को नहीं माना। और उस à¤à¤• सांसद का नाम था पंडित जवाहर लाल नेहरà¥à¥¤ उनका तरà¥à¤• था कि वनà¥à¤¦à¥‡ मातरम गीत से मà¥à¤¸à¤²à¤®à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ के दिल को चोट पहà¥à¤šà¤¤à¥€ है इसलिठइसे नहीं गाना चाहिठ(दरअसल इस गीत से मà¥à¤¸à¤²à¤®à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ को नहीं अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¥‹à¤‚ के दिल को चोट पहà¥à¤‚चती थी)। अब इस à¤à¤—डे का फैसला कौन करे, तो वे पहà¥à¤šà¥‡ गाà¤à¤§à¥€ जी के पास। गाà¤à¤§à¥€ जी ने कहा कि जन गन मन के पकà¥à¤· में तो मैं à¤à¥€ नहीं हूठऔर तà¥à¤® (नेहरॠ) वनà¥à¤¦à¥‡à¤®à¤¾à¤¤à¤°à¤® के पकà¥à¤· में नहीं हो तो कोई तीसरा गीत तैयार किया जाये। तो महातà¥à¤®à¤¾ गाà¤à¤§à¥€ ने तीसरा विकलà¥à¤ª à¤à¤‚डा गान के रूप में दिया " विजयी विशà¥à¤µ तिरंगा पà¥à¤¯à¤¾à¤°à¤¾ à¤à¤‚डा ऊà¤à¤šà¤¾ रहे हमारा " । लेकिन नेहरॠजी उस पर à¤à¥€ तैयार नहीं हà¥à¤à¥¤ > >नेहरॠजी का तरà¥à¤• था कि à¤à¤‚डा गान ओरà¥à¤•ेसà¥à¤Ÿà¥à¤°à¤¾ पर नहीं बज सकता और जन गन मन ओरà¥à¤•ेसà¥à¤Ÿà¥à¤°à¤¾ पर बज सकता है। उस समय बात नहीं बनी तो नेहरॠजी ने इस मà¥à¤¦à¥à¤¦à¥‡ को गाà¤à¤§à¥€ जी की मृतà¥à¤¯à¥ तक टाले रखा और उनकी मृतà¥à¤¯à¥ के बाद नेहरॠजी ने जन गण मन को राषà¥à¤Ÿà¥à¤° गान घोषित कर दिया और जबरदसà¥à¤¤à¥€ à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯à¥‹à¤‚ पर इसे थोप दिया गया जबकि इसके जो बोल है उनका अरà¥à¤¥ कà¥à¤› और ही कहानी पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¥à¤¤ करते है, और दूसरा पकà¥à¤· नाराज न हो इसलिठवनà¥à¤¦à¥‡ मातरम को राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¤—ीत बना दिया गया लेकिन कà¤à¥€ गया नहीं गया। नेहरॠजी कोई à¤à¤¸à¤¾ काम नहीं करना चाहते थे जिससे कि अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¥‹à¤‚ के दिल को चोट पहà¥à¤‚चे, मà¥à¤¸à¤²à¤®à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ के वो इतने हिमायती कैसे हो सकते थे जिस आदमी ने पाकिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨ बनवा दिया जब कि इस देश के मà¥à¤¸à¤²à¤®à¤¾à¤¨ पाकिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨ नहीं चाहते थे, जन गण मन को इस लिठतरजीह दी गयी कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि वो अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¥‹à¤‚ की à¤à¤•à¥à¤¤à¤¿ में गाया गया गीत था और वनà¥à¤¦à¥‡à¤®à¤¾à¤¤à¤°à¤® इसलिठपीछे रह गया कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि इस गीत से अंगेजों को दरà¥à¤¦ होता था। > >बीबीसी ने à¤à¤• सरà¥à¤µà¥‡ किया था। उसने पूरे संसार में जितने à¤à¥€ à¤à¤¾à¤°à¤¤ के लोग रहते थे, उनसे पà¥à¤›à¤¾ कि आपको दोनों में से कौन सा गीत जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ पसंद है तो 99 % लोगों ने कहा वनà¥à¤¦à¥‡à¤®à¤¾à¤¤à¤°à¤®à¥¤ बीबीसी के इस सरà¥à¤µà¥‡ से à¤à¤• बात और साफ़हà¥à¤ˆ कि दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ के सबसे लोकपà¥à¤°à¤¿à¤¯ गीतों में दà¥à¤¸à¤°à¥‡ नंबर पर वनà¥à¤¦à¥‡à¤®à¤¾à¤¤à¤°à¤® है। कई देश है जिनके लोगों को इसके बोल समठमें नहीं आते है लेकिन वो कहते है कि इसमें जो लय है उससे à¤à¤• जजà¥à¤¬à¤¾ पैदा होता है। > >तोये इतिहास है वनà¥à¤¦à¥‡ मातरम का और जन गण मन का। अब ये आप को तय करना है कि आपको कà¥à¤¯à¤¾ गाना है ? > >इतने लमà¥à¤¬à¥‡ पतà¥à¤° को आपने धैरà¥à¤¯à¤ªà¥‚रà¥à¤µà¤• पढ़ा इसके लिठआपका धनà¥à¤¯à¤µà¤¾à¤¦à¥à¥¤ और अचà¥à¤›à¤¾ लगा हो तो इसे फॉरवरà¥à¤¡ कीजिये, आप अगर और à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ à¤à¤¾à¤·à¤¾à¤à¤ जानते हों तो इसे उस à¤à¤¾à¤·à¤¾ में अनà¥à¤µà¤¾à¤¦à¤¿à¤¤ कीजिये अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¥€ छोड़कर। > >जय हिंद | > > -- A.J. Thanki, 3,Ravlia Plot, Opp. Govardhan Nivas, PORBANDAR- 360 575 Dist.:- PORBANDAR State:- GUJARAT- INDIA Contact No.:-  +91286 2241078  Mobile;- +9198251 51078 -- A.J. Thanki, 3,Ravlia Plot, Opp. Govardhan Nivas, PORBANDAR- 360 575 Dist.:- PORBANDAR State:- GUJARAT- INDIA Contact No.:-  +91286 2241078  Mobile;- +9198251 51078 Quote Link to comment Share on other sites More sharing options...
Recommended Posts
Join the conversation
You are posting as a guest. If you have an account, sign in now to post with your account.
Note: Your post will require moderator approval before it will be visible.